आपने कुछ दिनों पहले मेरी और रक्षिता की जयपुर में पतंगबाजी और रक्षिता और उसकी भाभी पढ़ी होगी, आज मैं उसके आगे की कहानी वहाँ से शुरू करता हूँ जब रक्षिता की भाभी विशाखा ने कहा था कि रोहित तू कल आना में अपनी सहेलियों को बुला कर लाऊगी ....
अगले दिन यानि 16 जनवरी, 2010 को मैं भाभी के घर गया। वहाँ पहले से उनकी दो सहेलियाँ बैठी थी जो मेरा ही इंतजार कर रही थी .....
भाभी ने उनका परिचय कराया- एक का नाम श्रुति था, वो भाभी की तरह ही मस्त फिगर वाली थी..
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