lundi 5 septembre 2011

नेपाली पक्षी

सभी प्यासी चूत-मरियों को मेरे गीले लौड़े का सलाम ! मेरा नाम शशांक रावत है, मैं कक्षा 12 का छात्र हूँ। मैं अन्तर्वासना डॉट कॉम का नियमित पाठक हूँ। आप लोग सोच रहे होंगे कि मैं इतनी छोटी उम्र से अन्तर्वासना डॉट कॉम के बारे में कैसे जानता हूँ ... असल में मैं बिगड़े बाप की सुधरी औलाद था ... मेरे बाप को अन्तर्वासना डॉट कॉम की कहानियाँ पढ़ने का शौक है ....कई बार मैंने उन्हें अन्तर्वासना की कहानियाँ पढ़कर मज़ा लेते हुए देखा था।

एक बार मैंने हिम्मत जुटाकर साईट खोली पर मुझे कई शब्दों का अर्थ नहीं पता था। फिर मैंने अपने से बड़े छात्रों से पूछकर इसका मतलब जाना... उसके बाद से ऐसी कोई रात नहीं रही जब मैंने अन्तर्वासना की कहानियाँ नहीं पढ़ी। लेकिन जो भी हो, मैं अन्तर्वासना का शुक्रगुज़ार हूँ जिसने मेरे अन्दर इतना जोश पैदा किया कि आज मैं आपसे अपनी अनुभव बाँटने जा रहा हूँ।

उस समय हमारे विद्यालय में एक नेपाली लड़का आया था, उसका नाम उत्कर्ष थापा था, नया छात्र होने के कारण उसका काम पिछड़ा हुआ था जिसे पूरा करने के लिए वो मेरा नोट्स ले जाया करता था। धीरे धीरे हमारी दोस्ती और गहरी होती गई।

एक बार बातों बातों में मैंने उससे अन्तर्वासना के बारे में बताया। शुरू में तो उसे थोड़ा आश्चर्य हुआ, लेकिन बाद में मुझे पता चला कि वो तो मेरे बाप का भी बाप है।

हम लोग एक साथ ब्लू फिल्में देखने लगे।

एक बार मैं ब्लू फिल्म की सी.डी देने के लिए उसके घर गया। मैंने बाहर से आवाज़ लगाई पर कोई बाहर नहीं आया। मैं दरवाज़े के पास गया तो दरवाज़ा खुला था। अन्दर जाने पर लगा कि घर पर कोई नहीं था। तभी मुझे बाथरूम से कोई आवाज़ सुनाई देने लगी। मैंने सोचा कि थापा नहा रहा है, इसलिए मैं उसके कमरे में जाकर बैठ गया। थोड़ी देर में मैं बोर होने लगा.. मैंने सोचा क्यूँ ना थोड़ी मस्ती की जाए !

मैं थापा को डराने के लिए दरवाज़े के नीचे से झांकने लगा...

मुझे नंगी टाँगें दिखाई देने लगी। मैंने आवाज़ लगाई- थापा, जल्दी बाहर निकल, मुझे तुझे कुछ देना है...

इतना कह कर मैं कमरे में जाकर बैठ गया। अन्दर से कोई आवाज़ नहीं आई। फिर अचानक दरवाज़ा खुला......

मैं देख कर दंग रह गया कि वह उत्कर्ष नहीं बल्कि उसकी खूबसूरत एवं सेक्सी दीदी अंकिता थी.... उसका गोरा बदन गुलाबी तौलिये से ढका हुआ था... उस तौलिये से उसकी चूची की गोलाइयाँ साफ़ नज़र आ रही थी.... पहली बार ऐसा दृश्य देखकर मैं शरमा गया... मेरा जोश सातवें आसमान पर पहुँच गया.... मेरा लण्ड पैंट से बाहर आने के लिए बेताब हो रहा था...

मैंने अपने खड़े लंड को छुपाने की पूरी कोशिश की...हालांकि रिश्ते में वो मेरी दीदी जैसी थी पर उसके गोरा बदन ने सब कुछ भुला दिया ....

दीदी ने बताया- उत्कर्ष घर पर नहीं है ! बताओ क्या काम है ?

सामने के मेज़ पर रखी अपनी कॉपी में मैंने सी-डी रखी थी। मैं घबरा गया और दीदी से कहा- मुझे उसे यह कॉपी देनी थी, पर मैं बाद में आकर दे दूंगा....

यह कह कर मैं कॉपी उठाने गया .....

पर गलती से सी-डी गिर गई ... इससे पहले कि मैं कुछ करता, वो सी-डी उठाने के लिए नीचे झुकी ! झुकने के कारण उसके आधे से भी ज्यादा स्तन दिखाई देने लगे.... मेरा मन उसके तौलिये के खुलने का इंतज़ार कर रहा था... मेरा लंड लोहे की तरह कड़ा हो गया था .... मेरा लंड बहुत शरारती था और बार बार भड़क रहा था ... यह देख कर दीदी भी मुस्कुराने लगी.... सी-डी के बारे में पूछने पर मैंने अपने आप को बचने के लिए कह दिया कि यह योगासन की सी-डी है...

दीदी को शायद शक हो गया था और कपड़े बदलने के बहाने अन्दर चली गई।

मेरी तो फट के चार हो गई मैं और चुपके से खिसकने वाली ही था कि इतने में अन्दर से आह्ह्ह्हह्ह आह्ह्ह्हह्ह आह्ह्ह्हह्ह की आवाज़ें आने लगी, दीदी रावत रावत कह कर मुझे बुलाने लगी। मैं डरते हुए अन्दर गया..

दीदी ने मुझसे हंसते हुए पूछा- यह कौन सा आसन हो रहा हैं ?

गलती से मेरे मुँह से निकल गया- यह रामदेव बाबा चोदासन कर रहे हैं..........

दीदी कहने लगी- तुम मुझे ये सब सिखाओगे? अभी बताती हूँ तुम्हारे घर में !

अब मेरे लण्ड का जोश ठंडा पड़ रहा था.............

मैं अच्छी नियत से दीदी के पाँव पड़ने लगा.........पर दीदी ने गलत समझा........

दीदी ने कहा- अगर तुम बचना कहते हो तो मुझे भी चोदासन सिखाओ....












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