सभी आंटियों और लड़कियों की फड़कती चूतों को मेरा प्यार भरा चुम्बन ! ज्यादा वक़्त बर्बाद ना करते हुए मैं सीधा अपनी कहानी शुरू करता हूँ।
बात सर्दियों के दिनों की हैं ! जैसा कि आप सभी जानते हैं मैं हरियाणा का रहने वाला हूँ। मैं अपनी जॉब बदलने की कोशिश कर रहा था। मैं गुडगाँव की एक बहु-राष्ट्रीय कम्पनी में साक्षात्कार देने के लिए गया था। साक्षात्कार के समय पर मेरी मुलाकात जन सम्पर्क अधिकारी स्वाति से हुई। उसकी शोर्ट स्कर्ट देख कर ही मेरा लण्ड खड़ा हो रहा था ! मैं पागलों की तरह बस उसकी चूचे और गांड को देख रहा था। उसकी गांड और चूचों को देख कर मेरा लण्ड एकदम तन गया था। मैंने टांग के ऊपर टांग रख कर उसे दबाने की कोशिश की पर लण्ड बैठने का नाम नहीं ले रहा था। तभी मेरा नाम बोला गया। मैंने सामान्य होने की कोशिश करते हुए अंदर प्रवेश किया पर मेरा खड़ा हुआ लण्ड साफ़ दिखाई दे रहा था और स्वाति की निगाह अब मेरे लण्ड पर लग चुकी थी।
गुड मॉर्निन्ग मैडम कह कर मैं लण्ड को छुपाते हुए कुर्सी पर बैठ गया। मैं स्वाति से निगाह नहीं मिला पा रहा था। निगाह ना मिलाने का एक कारण उसकी चूचियाँ थी जिसकी वज़ह से मेरा लण्ड बैठने का नाम नहीं ले रहा था।
पर स्वाति शायद लण्ड की प्यासी थी, उसने मुझसे कहा- आप को बैठने के लिए किसने बोला था?
मैंने कहा- माफ़ करें मैडम ! मैं मजबूर हूँ !
उसने मुझे खड़े होने के लिए कहा और खुद भी अपनी सीट से खड़ी हो गई। लेकिन मैं खड़ा नहीं हुआ। अब वह खड़ी होकर मेरे लण्ड को निहार रही थी। ऐसा लग रहा था कि वो लण्ड से खेलना चाहती थी। मैंने हाथ से लण्ड को नीचे कर दोनों टांगों के बीच में लण्ड को दबा लिया। अब मैं अपने आप को सुरक्षित महसूस कर रहा था और उसी दशा में मैं सीधा खड़ा भी हो गया। उसने मेरा नाम पूछा और कहा- तुम क्या छिपाने की कोशिश कर रहे हो? भगवान ने इसे छुपाने के लिए नहीं बनाया है।
मैं उसकी बात सुनकर सकपका गया और मेरा चेहरा शर्म से लाल हो गया, मैंने कहा- कुछ नहीं मैडम !
उसके बाद मैं सामान्य हो गया पर स्वाति के मन में कुछ और था और वह खुल कर बोलने लगी- तुम लण्ड क्यों छुपा रहे हो?
मैं ऐसा सुन कर मन ही मन में सोचने लगा- आज तो भगवान मुझ पर मेहरबान हैं !
मैंने कहा- मैडम, आपकी चूची और गांड को देखकर मेरा लण्ड खड़ा हो गया है और अब यह बैठने का नाम नहीं ले रहा है ! और आप इन्टरव्यू लेने की बजाए मुझे छेड़ रही हैं ! बस इसी वज़ह से मैं ना तो आपसे निगाह मिला पा रहा हूँ और लण्ड को छुपा रहा हूँ। असल में मैंने आपको जब टेस्ट के समय देखा था तभी से भगवान से प्रार्थना कर रहा था कि आपकी चूत मारने का मौका दिलवा दे !
स्वाति ने कहा- मुझे तुम्हारी निडरता अच्छी लगी।
तब मैंने कहा- और मेरा लण्ड? आप यह कहानी अन्तर्वासना डॉट कॉम पर पढ़ रहे हैं।
उसने कहा- तुम उतने शरीफ नहीं हो जैसा मैं सोच रही थी। तुम काफ़ी शरारती हो ! तुम इस नौकरी के लिय चुन लिए गए हो ! आज शाम 11 बजे मुझे इस पते पर मिलो !
मैं फूला नहीं समा रहा था और मुझे वो कहावत याद आ रही थी- जब भगवान देता है तो छप्पर फ़ाड़ कर देता है !
मैंने धन्यवाद मैडम ! कह कर स्वाति से हाथ मिलाने के बहाने उसकी चूची पर चुटकी भर दी और वह चहुंक उठी।
वो कौन सी पीछे रहने वाली थी, उसने आगे बढ़कर सीधा लण्ड को पकड़ कर सहला दिया। मैं सावधानी बरतते हुए जल्दी से वहाँ से निकल लिया और बस रात का
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